(१)
गधे के सर पर भी
होते ही थे सींग
फिर उसने सीख लिया
टोपी पहनना।
(२)
बड़े वफादार होते हैं
जो रोटी दे उस पर
कभी नहीं झपटते
दाता के इशारे पर
उधेड़ सकते हैं
सामने वाले के बखिये
टोपी से निकली पेंट के नीचे
छुपा लेते हैं अपनी पूँछ।
(३)
सालों पहले
सियार के कहने पर
बकरियों ने चुना
भेड़िये को अपना संरक्षक
और बकरियां मारी गयीं
परम्परा आज भी जीवित है।
(४)
खरगोश बहुत चालाक था
कुंए में दिखाकर शेर को
उसकी ही परछाईं
डुबाकर उसे
अपनी जान बचाई
अफ़सोस कि बाकी शेर
भेड़ नहीं थे।
(५)
कौआ और हंस के बीच
उड़ान भरने की प्रतिस्पर्धा में
थक गया था कौआ
दया से पसीजा हंस का हृदय
अपनी पीठ पर कराकर सवार कौए को
लौट आया हंस
तब से कौआ
हंसों की सवारी कर रहा है।
(६)
उल्लू की आँखें
सुना है कि देख लेती हैं
एक ही समय में
अलग-अलग दिशाओं में
जैसे इनकी
लोकतंत्र और सामंतवाद।
(७)
दो बिल्लियों की लड़ाई में
बन्दर ने खा ली रोटी
चूहे तो लड़े भी नहीं
फिर अनाज ...?
मंगलवार, 31 मार्च 2009
सोमवार, 30 मार्च 2009
मेरी रगों के लहू से
धोखा हुआ है आपको में एक इंसान हूँ
इस जगह कभी उस जगह फेंका हुआ सामान हूँ
जाति धर्म ऊँच नीच और सियासी ढंग में
जाने कितनी पीढियों से बंटता हुआ सामान हूँ
मेरे हाथों की जुम्बिश से बना जो रूप पत्थर का
वो स्वर्ग का है देवता मैं आज भी वीरान हूँ
मेरी ही तामीर थी जो अब उस इमारत में
गिरती अपने हाथ पर शमशीर से हैरान हूँ
मेरी रगों के लहू से है जिनके घर में रौशनी
उनके लिए मैं बेवजह बे-ईमां बेजान हूँ.
इस जगह कभी उस जगह फेंका हुआ सामान हूँ
जाति धर्म ऊँच नीच और सियासी ढंग में
जाने कितनी पीढियों से बंटता हुआ सामान हूँ
मेरे हाथों की जुम्बिश से बना जो रूप पत्थर का
वो स्वर्ग का है देवता मैं आज भी वीरान हूँ
मेरी ही तामीर थी जो अब उस इमारत में
गिरती अपने हाथ पर शमशीर से हैरान हूँ
मेरी रगों के लहू से है जिनके घर में रौशनी
उनके लिए मैं बेवजह बे-ईमां बेजान हूँ.
बुधवार, 4 मार्च 2009
भू-अर्जन अधिकारी
जिला मुख्यालय में नियुक्त होते हैं
भू-अर्जन अधिकारी
पर वे कुछ नहीं कर सकते
हर मोहल्ले में मौजूद
भू-अर्जन अधिकारी के सामने
मोहल्ले में मौजूद भू-अर्जन अधिकारी
भी कुछ नहीं करते
सब कुछ करते हैं उनके कर्मचारी ही
चुनते हैं एक अच्छी सी जगह
लगा दिया जाता है रातोंरात
भू-अर्जन अधिकारी का आसन
भू-अर्जन अधिकारी का पहचान पत्र
फहरा दिया जाता है
पास खड़े पीपल पर
शुरू हो जाता है गौरवगान
भू-अर्जन अधिकारी के सामर्थ्य का शौर्य
गूंजने लगता है चारों दिशाओं में
कुछ ही दिनों में कार्यालय
तैयार हो गया है पूरी तरह
नियमानुसार मंगल-शनीचर
होने लगी हैं
जन-सुनवाई और कार्यालयीन बैठकें
जगह कम है कार्यालय में
और लोगों की भीड़ बढती ही जाती है
लोगों की सुविधा के लिए
कार्यालय के सामने के मैदान में
होने लगी हैं कार्यालयीन गतिविधियाँ
कुछ दिन बाद सुरक्षा के मद्देनज़र
घेर दिया गया है मैदान को
कंटीली तारों से
भू-अर्जन अधिकारी को
अब नहीं है कोई कष्ट
उनके कर्मचारी कर रहे हैं
निश्चिंत होकर अपना काम
अपने माथे पर
भू-अर्जन अधिकारी की
सिन्दूरी चरण-रज लेकर
भू-अर्जन अधिकारी ने
कर ली है
भूमि अर्जित.
भू-अर्जन अधिकारी
पर वे कुछ नहीं कर सकते
हर मोहल्ले में मौजूद
भू-अर्जन अधिकारी के सामने
मोहल्ले में मौजूद भू-अर्जन अधिकारी
भी कुछ नहीं करते
सब कुछ करते हैं उनके कर्मचारी ही
चुनते हैं एक अच्छी सी जगह
लगा दिया जाता है रातोंरात
भू-अर्जन अधिकारी का आसन
भू-अर्जन अधिकारी का पहचान पत्र
फहरा दिया जाता है
पास खड़े पीपल पर
शुरू हो जाता है गौरवगान
भू-अर्जन अधिकारी के सामर्थ्य का शौर्य
गूंजने लगता है चारों दिशाओं में
कुछ ही दिनों में कार्यालय
तैयार हो गया है पूरी तरह
नियमानुसार मंगल-शनीचर
होने लगी हैं
जन-सुनवाई और कार्यालयीन बैठकें
जगह कम है कार्यालय में
और लोगों की भीड़ बढती ही जाती है
लोगों की सुविधा के लिए
कार्यालय के सामने के मैदान में
होने लगी हैं कार्यालयीन गतिविधियाँ
कुछ दिन बाद सुरक्षा के मद्देनज़र
घेर दिया गया है मैदान को
कंटीली तारों से
भू-अर्जन अधिकारी को
अब नहीं है कोई कष्ट
उनके कर्मचारी कर रहे हैं
निश्चिंत होकर अपना काम
अपने माथे पर
भू-अर्जन अधिकारी की
सिन्दूरी चरण-रज लेकर
भू-अर्जन अधिकारी ने
कर ली है
भूमि अर्जित.
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