अच्छी बातें, प्यारी बातें
छोड़ो ये बेकार की बातें
दो पल हंसकर बोले थे
बन बैठी हैं प्यार की बातें
उसकी ग़लती इतनी थी
कर बैठा था ख़ार-सी बातें
दोस्त बहुत गहरे हैं लेकिन
हो गई हैं दुश्वार भी बातें
आजिज़ अपनों से आकर
करता है बेज़ार-सी बातें
छूट गया वो हमसे ‘साहिल’
डुबा न दें मझधार-सी बातें
बहुत सुन्दर गज़ल.................
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