शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

ख़याल का भी है अब सवाल दोस्तो

आज के दौर का अजब है हाल दोस्तो
जो भी चुप रहा हुआ हलाल दोस्तो

है ख़्वाब की ये दुनिया या दुनिया ही ख़्वाब है
काश हो भी जाए सच से विसाल दोस्तो

खुद ही सर झुकाया  कातिल के सामने
है किस बात का फिर मलाल दोस्तो

बाज़ार जाने कब रगों में आ मिला
सब ख़्वाब बन गए अब माल दोस्तो

बात सिर्फ हक की बाक़ी नहीं रही
ख़याल का भी है अब सवाल दोस्तो

साहिल'  है ऐतराज़ कि बातें ही सुर्ख हों
ख़याल भी तो चाहिए अब लाल दोस्तो