यह बस सीधे वैसा है, जैसा उपजा, बिना किसी काट-छांट के -
गज़ब की भीड़ है, शोर है, रफ़्तार है
जिसे भी देखिये वो थोडा सा बेज़ार है
जब भी बेची अपनी मेहनत बैठकर रोया
हर बार ही घाटा है क्या व्यापार है
रोज़ ही होते हैं वादे बेहतरी के बेशुमार
रोज़ लगता कल ही का तो अखबार है
जब लुट चुकीं उम्मीदें सारी उसके जीने की
फिर है चर्चा ख़ुदकुशी का गुनाहगार है
दोस्ती इतनी न जताओ कि कहना पड़े
दोस्त तो अच्छा है, थोडा सा बीमार है
मैं अपनी भूख से शर्मिंदा क्यों लगती है मुझे
क्या नहीं जानती कि इसका भी बाज़ार है
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शनिवार, 5 जून 2010
मंगलवार, 27 अप्रैल 2010
भूख की कीमत
(1)
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में
पाया गया अगर
अनाज का एक भी दाना पेट में
तो नहीं दिया जा सकता इसे क़रार
भूख से मौत
भले ही मौत के दिन ही
क्यों न मिला हो भोजन
एक माह बाद।
(2)
अनाज
गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ गया
दे दिया गया
शराब बनाने के लिए
शराब पर दी गई उतनी सब्सिडी
जितने में पहुँचाया जा सकता था
सब तक
अब
पैंतीस किलो की जगह
पच्चीस किलो अनाज से भरेगा
परिवार का पेट
शायद भूख हो गई है
कम
लोगों की
या शायद ज़्यादा
अन्नदाताओं की।
(3)
अब नहीं मिलते
आम, संतरे, चीकू
पपीते, नाशपाती
सेब, तरबूज़
किलो के हिसाब से
और केले दर्जन के
एक-एक नग पर
चिपका हुआ है प्राइज टैग
घोषणा करता हुआ
आज सुनहरा मौका है
लाभ उठाइये और ले जाइये
पंद्रह रुपये में एक आम
या पच्चीस रुपये में एक सेब
कार्बोनेटेड शीतल पेयों का सेवन करते हुए
याद करेंगे कभी आपके बच्चे
पापा लाया करते थे कभी
और स्मृतियों में बचे रह जायेंगे
आम, संतरे, सेब…..
(4)
अगर आपके पास
लाल या पीला
है कार्ड
तो नहीं मर सकते
भूख से आप
यह सुनिश्चितता नहीं
फ़रमान है सरकारी
(5)
शकर हो गई चालीस रुपये
दाल सत्तर की
और चावल
सबसे सस्ता वाला भी पच्चीस रुपये
सबको जगाने वाली
टाटा टी भी
हो गई पचास रुपये की ढाई सौ ग्राम
और गुड़ मिल रहा है थैलियों में बंद
साढ़े बारह का सौ ग्राम
आटा पच्चीस रुपये किलो
दाल-रोटी
और गुड़ की चाय
है ग़रीब का भोजन
क्या सचमुच?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में
पाया गया अगर
अनाज का एक भी दाना पेट में
तो नहीं दिया जा सकता इसे क़रार
भूख से मौत
भले ही मौत के दिन ही
क्यों न मिला हो भोजन
एक माह बाद।
(2)
अनाज
गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ गया
दे दिया गया
शराब बनाने के लिए
शराब पर दी गई उतनी सब्सिडी
जितने में पहुँचाया जा सकता था
सब तक
अब
पैंतीस किलो की जगह
पच्चीस किलो अनाज से भरेगा
परिवार का पेट
शायद भूख हो गई है
कम
लोगों की
या शायद ज़्यादा
अन्नदाताओं की।
(3)
अब नहीं मिलते
आम, संतरे, चीकू
पपीते, नाशपाती
सेब, तरबूज़
किलो के हिसाब से
और केले दर्जन के
एक-एक नग पर
चिपका हुआ है प्राइज टैग
घोषणा करता हुआ
आज सुनहरा मौका है
लाभ उठाइये और ले जाइये
पंद्रह रुपये में एक आम
या पच्चीस रुपये में एक सेब
कार्बोनेटेड शीतल पेयों का सेवन करते हुए
याद करेंगे कभी आपके बच्चे
पापा लाया करते थे कभी
और स्मृतियों में बचे रह जायेंगे
आम, संतरे, सेब…..
(4)
अगर आपके पास
लाल या पीला
है कार्ड
तो नहीं मर सकते
भूख से आप
यह सुनिश्चितता नहीं
फ़रमान है सरकारी
(5)
शकर हो गई चालीस रुपये
दाल सत्तर की
और चावल
सबसे सस्ता वाला भी पच्चीस रुपये
सबको जगाने वाली
टाटा टी भी
हो गई पचास रुपये की ढाई सौ ग्राम
और गुड़ मिल रहा है थैलियों में बंद
साढ़े बारह का सौ ग्राम
आटा पच्चीस रुपये किलो
दाल-रोटी
और गुड़ की चाय
है ग़रीब का भोजन
क्या सचमुच?
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