लगाते हो जो मुझे हरा रंग मुझे लगता है बेहतर होता कि, तुमने लगाये होते कुछ हरे पौधे और जलाये न होते बड़े पेड़ होली में। देखकर तुम्हारे हाथों में रंग लाल मुझे खून का आभास होता है और खून की होली तो कातिल ही खेलते हैं मेरे यार केसरी रंग भी डाल गया है कोई मुझ पर इसे देख सोचता हूँ मैं कि किस धागे से सिलूँ अपना तिरंगा कि कोई उसकी हरी और केसरी पट्टियाँ उधाड़कर अलग अलग झँडियाँ बना न सके उछालकर कीचड़, कर सकते हो गंदे कपड़े मेरे पर तब भी मेरी कलम इंद्रधनुषी रंगों से रचेगी विश्व आकाश पर सतरंगी सपने नीले पीले ये सुर्ख से सुर्ख रंग, ये अबीर सब छूट जाते हैं, झट से सो रंगना ही है मुझे, तो उस रंग से रंगो जो छुटाये से बढ़े कहाँ छिपा रखी है नेह की पिचकारी और प्यार का रंग? डालना ही है तो डालो कुछ छींटे ही सही पर प्यार के प्यार से इस बार होली में।
लगाते हो जो मुझे हरा रंग
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है
बेहतर होता
कि, तुमने लगाये होते
कुछ हरे पौधे
और जलाये न होते
बड़े पेड़ होली में।
देखकर तुम्हारे हाथों में रंग लाल
मुझे खून का आभास होता है
और खून की होली तो
कातिल ही खेलते हैं मेरे यार
केसरी रंग भी डाल गया है
कोई मुझ पर
इसे देख सोचता हूँ मैं
कि किस धागे से सिलूँ
अपना तिरंगा
कि कोई उसकी
हरी और केसरी पट्टियाँ उधाड़कर
अलग अलग झँडियाँ बना न सके
उछालकर कीचड़,
कर सकते हो गंदे कपड़े मेरे
पर तब भी मेरी कलम
इंद्रधनुषी रंगों से रचेगी
विश्व आकाश पर सतरंगी सपने
नीले पीले ये सुर्ख से सुर्ख रंग, ये अबीर
सब छूट जाते हैं, झट से
सो रंगना ही है मुझे, तो
उस रंग से रंगो
जो छुटाये से बढ़े
कहाँ छिपा रखी है
नेह की पिचकारी और प्यार का रंग?
डालना ही है तो डालो
कुछ छींटे ही सही
पर प्यार के प्यार से
इस बार होली में।
-विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र'
कुछ अपना नया डालें ......!!
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