सोमवार, 19 मई 2014

अच्छे दिन आने वाले हैं



बीत गए थे जो फिर से क़िस्से दुहराने वाले हैं
शोर बड़ा घनघोर है ये अच्छे दिन आने वाले हैं

अभी समझ की देहरी तक जो पहुँचे हैं मुश्किल से
उन नादानों के फिर से सपने भरमाने वाले हैं

देख-भाल के सोच-समझ के खाद-पानी ये डाला है
नागफनी के पौधों से आलम हरियाने वाले हैं

फूल दिखा कर सुंदरता का भरम बनाये रखा है
मिलते ही मौक़ा मुँह  कीचड़ मल जाने वाले हैं

सुबह-ओ-शाम रात-दोपहर हमने जिसको बीना है
उस चादर पर तेल छिड़क लपटें उठवाने वाले हैं

औरत देवी घर की ज़ीनत मैला धोना पुण्य का काम
मनु-सूत्र को वो फिर से जड़ में रखवाने वाले हैं

क्या होगा, कैसे होगा, ये मत पूछो बिलकुल भी
सारे मिलकर भजन करो अच्छे दिन आने वाले हैं.

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