हरसू नए सवाल हैं इन्सां के सामने
हर रोज़ ही बवाल हैं इन्सां के सामने
हर तरफ़ बाज़ार है रिश्ते हुए हैं गुम
पहचान का मलाल है इन्सां के सामने
सब कुछ है उसके पास फिर भी मगर अभी
रोटी बड़ा सवाल है इन्सां के सामने
बेटी का हो ब्याह या बेटे की नौकरी
बातें सभी ख्याल हैं परीशां के सामने
मिल आने की खुशी कमज़ोर पड़ गई
विसाल का ये हाल है हिज्राँ के सामने
दिखता है हर सिम्त नज़ारा पानी का
बादल मगर ख्याल है सहरा के सामने
सह चुका कितने थपेड़े फिर भी खड़ा है
पत्थर बड़ा कमाल है तूफां के सामने
क्या देगा सहारा परेशां ख़ुद है जो साहिल
दस्त-ऐ-ख़ुद हलाल है जहां के सामने
bahut achchhe khyal hai. achchhi gazal hai.
जवाब देंहटाएंsahil bhai kahan kho gaye. vapas aa jao. kuchh post karo.
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