ख़लिश
मंगलवार, 25 अगस्त 2009
मेरी कुदाल...
कुछ अरसा पहले बिहार-झारखण्ड में दैनिक मजदूरी पर जीवन यापन करने वाले लोगों के बीच बिताये वक्त में लिखी थीं ये पंक्तियाँ, और वहीं अपने कैमरे में संजोई हुई तस्वीरों में से एक तस्वीर के साथ ये पोस्टर तैयार किया।
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