न जाने कौन किस बात से मुझको समझ जाये
अब तक तो वरना सबके लिए बस बतकही हूँ मैं
एक चुभन है जो पूछता हूँ सबके दर्द की वजहें
किसी ने मुझसे पूछा नहीं परेशां तो नहीं हूँ मैं
बोलता हूँ इसलिए कि कुछ तो वज़न कम हो
कोई सुनता नहीं मुझे क्या जानता नहीं हूँ मैं
गले पड़ता हूँ मैं अक्सर ये होता है इसलिए
वो बहुत हैं मुझे अजीज़ उनको नहीं हूँ मैं
न कोई कहने वाला है न कोई सुनने वाला है
अपने होंठ से बस कान तक की रफ्तागी हूँ मैं
अब तक तो वरना सबके लिए बस बतकही हूँ मैं
एक चुभन है जो पूछता हूँ सबके दर्द की वजहें
किसी ने मुझसे पूछा नहीं परेशां तो नहीं हूँ मैं
बोलता हूँ इसलिए कि कुछ तो वज़न कम हो
कोई सुनता नहीं मुझे क्या जानता नहीं हूँ मैं
गले पड़ता हूँ मैं अक्सर ये होता है इसलिए
वो बहुत हैं मुझे अजीज़ उनको नहीं हूँ मैं
न कोई कहने वाला है न कोई सुनने वाला है
अपने होंठ से बस कान तक की रफ्तागी हूँ मैं
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