(१)
गधे के सर पर भी
होते ही थे सींग
फिर उसने सीख लिया
टोपी पहनना।
(२)
बड़े वफादार होते हैं
जो रोटी दे उस पर
कभी नहीं झपटते
दाता के इशारे पर
उधेड़ सकते हैं
सामने वाले के बखिये
टोपी से निकली पेंट के नीचे
छुपा लेते हैं अपनी पूँछ।
(३)
सालों पहले
सियार के कहने पर
बकरियों ने चुना
भेड़िये को अपना संरक्षक
और बकरियां मारी गयीं
परम्परा आज भी जीवित है।
(४)
खरगोश बहुत चालाक था
कुंए में दिखाकर शेर को
उसकी ही परछाईं
डुबाकर उसे
अपनी जान बचाई
अफ़सोस कि बाकी शेर
भेड़ नहीं थे।
(५)
कौआ और हंस के बीच
उड़ान भरने की प्रतिस्पर्धा में
थक गया था कौआ
दया से पसीजा हंस का हृदय
अपनी पीठ पर कराकर सवार कौए को
लौट आया हंस
तब से कौआ
हंसों की सवारी कर रहा है।
(६)
उल्लू की आँखें
सुना है कि देख लेती हैं
एक ही समय में
अलग-अलग दिशाओं में
जैसे इनकी
लोकतंत्र और सामंतवाद।
(७)
दो बिल्लियों की लड़ाई में
बन्दर ने खा ली रोटी
चूहे तो लड़े भी नहीं
फिर अनाज ...?
waah bahut khoob kyaa bhigaa bhigaa kar maraa hai aap mere mijaaj ke lagte hain, maja aayegaa apko padhne mein
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसाहिल भाई ....
जवाब देंहटाएंसाहिल पर भी इतने कीमती मोती मिल सकते हैं, ये तो पता ही नही था .... गहराई पर जाने में तो पता नही और क्या क्या मिलेगा ....बहुत खूब
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ब्लोगिंग जगत में स्वागत है
जवाब देंहटाएंलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
सुन्दर रचना के लिए बधाई
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
http://www.rachanabharti.blogspot.com
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
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रेखा चित्र एंव आर्ट के लिए देखें
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सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआपकी रचना के लिये बधाई
ब्लोग्स के नये साथियों मे आपका बहुत स्वागत है
चलिये चार पंक्तियों से अपना परिचय करा रहा हू
चले हैं इस तिमिर को हम , करारी मात देने को
जहां बारिश नही होती , वहां बरसात देने को
हमे पूरी तरह अपना , उठाकर हाथ बतलाओ
यहां पर कौन राजी है , हमारा साथ देने को
सादर
डा उदय ’मणि’ कौशिक
http://mainsamayhun.blogspot.com
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंachche satire hain...badhai
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