मंगलवार, 31 मार्च 2009

साँची कहो तो.... (१)

(१)
गधे के सर पर भी
होते ही थे सींग
फिर उसने सीख लिया
टोपी पहनना।

(२)
बड़े वफादार होते हैं
जो रोटी दे उस पर
कभी नहीं झपटते
दाता के इशारे पर
उधेड़ सकते हैं
सामने वाले के बखिये

टोपी से निकली पेंट के नीचे
छुपा लेते हैं अपनी पूँछ।

(३)
सालों पहले
सियार के कहने पर
बकरियों ने चुना
भेड़िये को अपना संरक्षक
और बकरियां मारी गयीं

परम्परा आज भी जीवित है।

(४)
खरगोश बहुत चालाक था
कुंए में दिखाकर शेर को
उसकी ही परछाईं
डुबाकर उसे
अपनी जान बचाई

अफ़सोस कि बाकी शेर
भेड़ नहीं थे।

(५)
कौआ और हंस के बीच
उड़ान भरने की प्रतिस्पर्धा में
थक गया था कौआ
दया से पसीजा हंस का हृदय
अपनी पीठ पर कराकर सवार कौए को
लौट आया हंस

तब से कौआ
हंसों की सवारी कर रहा है।

(६)
उल्लू की आँखें
सुना है कि देख लेती हैं
एक ही समय में
अलग-अलग दिशाओं में

जैसे इनकी
लोकतंत्र और सामंतवाद।

(७)
दो बिल्लियों की लड़ाई में
बन्दर ने खा ली रोटी
चूहे तो लड़े भी नहीं

फिर अनाज ...?

4 टिप्‍पणियां:

  1. waah bahut khoob kyaa bhigaa bhigaa kar maraa hai aap mere mijaaj ke lagte hain, maja aayegaa apko padhne mein

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  3. साहिल भाई ....
    साहिल पर भी इतने कीमती मोती मिल सकते हैं, ये तो पता ही नही था .... गहराई पर जाने में तो पता नही और क्या क्या मिलेगा ....बहुत खूब
    welcome to my google reader list

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