(1)
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में
पाया गया अगर
अनाज का एक भी दाना पेट में
तो नहीं दिया जा सकता इसे क़रार
भूख से मौत
भले ही मौत के दिन ही
क्यों न मिला हो भोजन
एक माह बाद।
(2)
अनाज
गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ गया
दे दिया गया
शराब बनाने के लिए
शराब पर दी गई उतनी सब्सिडी
जितने में पहुँचाया जा सकता था
सब तक
अब
पैंतीस किलो की जगह
पच्चीस किलो अनाज से भरेगा
परिवार का पेट
शायद भूख हो गई है
कम
लोगों की
या शायद ज़्यादा
अन्नदाताओं की।
(3)
अब नहीं मिलते
आम, संतरे, चीकू
पपीते, नाशपाती
सेब, तरबूज़
किलो के हिसाब से
और केले दर्जन के
एक-एक नग पर
चिपका हुआ है प्राइज टैग
घोषणा करता हुआ
आज सुनहरा मौका है
लाभ उठाइये और ले जाइये
पंद्रह रुपये में एक आम
या पच्चीस रुपये में एक सेब
कार्बोनेटेड शीतल पेयों का सेवन करते हुए
याद करेंगे कभी आपके बच्चे
पापा लाया करते थे कभी
और स्मृतियों में बचे रह जायेंगे
आम, संतरे, सेब…..
(4)
अगर आपके पास
लाल या पीला
है कार्ड
तो नहीं मर सकते
भूख से आप
यह सुनिश्चितता नहीं
फ़रमान है सरकारी
(5)
शकर हो गई चालीस रुपये
दाल सत्तर की
और चावल
सबसे सस्ता वाला भी पच्चीस रुपये
सबको जगाने वाली
टाटा टी भी
हो गई पचास रुपये की ढाई सौ ग्राम
और गुड़ मिल रहा है थैलियों में बंद
साढ़े बारह का सौ ग्राम
आटा पच्चीस रुपये किलो
दाल-रोटी
और गुड़ की चाय
है ग़रीब का भोजन
क्या सचमुच?
सच्…बिल्कुल नंगा सच…कविता के नाम पर जिसे किसी नक़ली आवरण की ज़रूरत नहीं पड़ी।
जवाब देंहटाएंमैं मुतमईन हूं साहिल कि हमें ऐसी कविताओं की आज बहुत ज़रुरत है…
साहिल जी ,
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक ....शायद तभी आप मेरी तरफ संतुष्ट नहीं हो पाए थे .....
@ भले ही मौत के दिन ही
क्यों न मिला हो भोजन
एक माह बाद।
@ शायद भूख हो गई है
कम
लोगों की
या शायद ज़्यादा
अन्नदाताओं की।
@ पापा लाया करते थे कभी
और स्मृतियों में बचे रह जायेंगे
आम, संतरे, सेब…..
@ दाल-रोटी
और गुड़ की चाय
है ग़रीब का भोजन
क्या सचमुच?
अद्भुत प्रश्न कड़े करती हैं आपकी क्षणिकाएं .......
आप इन्हें क्षणिकाएं न कहकर नज्में कहें तो ज्यादा बेहतर होगा ....!!
छोड दो मांगना, सीख लो हक से लेना,
जवाब देंहटाएंवरना इतिहास न माफ करेगा ।
छोड दो समस्यायें गिनना या गिनाना,
सीख लो छीनना,
वरना इतिहास न माफ करेगा ।
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